कुरुक्षेत्र, 04 अक्तूबर। श्राद्ध पितृ पक्ष के पावन अवसर पर गो गीता गायत्री सत्संग सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित पूर्वजों के कल्याण हेतु टयूबवैल पार्क सपड़ा कॉलोनी में कथावाचक अनिल शास्त्री ने भक्तों को बताया कि महर्षि वेद व्यास ने महाभारत ग्रंथ की रचना की थी। इस सबसे बड़े ग्रंथ की रचना करने के बाद भी वेद व्यास जी के मन को शांति नहीं मिल रही थी। वे उदास रहने लगे थे। उस समय नारद मुनि वेद व्यास जी के पास पहुंचे। नारद मुनि ने व्यास जी को निराश देखा, तो उनसे इसकी वजह से पूछी। व्यास जी ने जवाब दिया कि मैंने महाभारत जैसे ग्रंथ की रचना की है, लेकिन मेरा मन अशांत ही है। नारद मुनि ने कहा कि आपके महाभारत ग्रंथ में परिवार की लड़ाई है, युद्ध है, अशांति है, अवगुण हैं। इस वजह से आपका मन अशांत है। आपको ऐसा ग्रंथ रचना चाहिए, जिसको पढ़ने के बाद हमारा मन शांत हो, बुरे विचार खत्म हों। ऐसा ग्रंथ रचें, जिसके केंद्र में भगवान हों। ऐसा ग्रंथ, जिसका मूल सकारात्मक हो। कथावाचक अनिल शास्त्री नारद मुनि की बातें सुनने के बाद वेद व्यास जी ने श्रीमद् भागवत कथा की रचना की। इस ग्रंथ को सकारात्मक सोच के साथ लिखा गया, इसके केंद्र में भगवान श्रीकृष्ण हैं। भगवान की लीलाओं की मदद से हमें संदेश दिया गया है कि हम दुखों का और परेशानियों का सामना सकारात्मक सोच के साथ करेंगे तो जीवन में शांति जरूर आएगी। इस अवसर पर अजय बजाज, ज्ञान चंद बजाज, लाल चंद शर्मा, गुलशन गाबा, सोम नाथ धीमान, अजय बजाज, ओम प्रकाश शर्मा, शिव दयाल, सचिन गाबा, विजय सोही, पवन गाबा एवं अन्य गणमान्य मौजूद रहे।

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