दो दिवसीय शारीरिक प्रकृति परीक्षण कार्यशाला का हुआ आयोजन

श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं अस्पताल में बुधवार को दो दिवसीय शारीरिक प्रकृति परीक्षण कार्यशाला का उद्घाटन हुआ। पांच अक्टूबर तक यह कार्यशाला चलेगी। श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने कहा कि मरीजों की प्रकृति परीक्षण एक प्राचीन आयुर्वेदिक विधा है, जिसको देशभर में प्रचारित करने की आवश्यकता है। केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद् देशभर में इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित करवा रहा है। जिसके उन्नत परिणाम देखने को मिल रहें है। सीसीआरएएस द्वारा तैयार सॉफ्टवेयर को सरकारी संस्थानों के साथ-साथ प्राइवेट सेक्टर में भी अपनाया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि व्यक्ति की प्रकृति-प्रवृत्ति का परीक्षण कर उसके शारीरिक स्वभाव का पता चलता है, जिससे उसका उपचार करने में सुविधा होती है। केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान कौंसिल दिल्ली के अनुसंधान अधिकारी डॉ. ललिता शर्मा ने कहा की केंद्र सरकार द्वारा एक उत्कृष्ट सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है, जिसकी सहायता से मरीज की तासीर का पता लगाया जा सकता है। इससे मनुष्य की वात, पित्त और कफ संबंधित तासीर को समझा जाता है, जोकि उसके शारीरिक संरचना, वजन, आंखों, जीभ, अंगुलियों का आकार और शरीर के अन्य भागों की व्यवस्था से प्राप्त होता है। वहीं परिषद् की अनुसंधान अधिकारी डॉ. रेनू सिंह ने कहा कि मरीज की प्रकृति का पता चलने पर भविष्य में होने वाली बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसके साथ ही उसे दी जाने वाली दवाओं और खानपान का चयन करने में भी आसानी रहती है। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना ने कहा कि दो दिवसीय कार्यशाला में विद्यार्थियों को ऑनलाइन वेब पोर्टल आधारित शरीर एवं मन की रचना की जांच करने के तरीके बताए जाएंगे। ताकि भविष्य में विद्यार्थी इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर मरीज को उसकी प्रकृति के मुताबिक इलाज कर सकें। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक प्रो. पीसी मंगल, डॉ. शूभा कौशल, डॉ. राजेंद्र चौधरी, डॉ. दीप्ति पराशर और डॉ. लसिथा उपस्थित रही।

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