कुरुक्षेत्र। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान, संस्कृति भवन कुरुक्षेत्र में हरियाणा कला परिषद अम्बाला मंडल के सौजन्य से लघु चित्र कार्यशाला का समापन हुआ। समापन अवसर पर वरिष्ठ एवं कनिष्ठ वर्ग के कलाकारों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों ने कार्यशाला के बारे में अपने विचार साझा किए। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने कहा कि संस्थान में समय-समय पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि कला की साधना के लिए निरन्तरता अति आवश्यक है। प्रतिभागी गुरु के साथ जितनी निकटता बनाए रखेंगे, उतना ही अधिक वे सीख पाएंगे। जिज्ञासा भाव को लेकर सीखा गया कार्य कला की साधना करनी चाहिए। अगर आप में सीखने की जिज्ञासा है तो आप गुरु से कुछ भी सीख सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की विशेषता गुरु-शिष्य परम्परा रही है। समय के साथ-साथ टेक्नोलॉजी बदल रही है। यह अन्वेषण वृत्ति है कुछ नया सीखने की प्रवृत्ति है। गुरु ने कल्पना दी है, उसे आप आगे कैसे लेकर जा सकते हैं, यह आपने गुरु से सीखना है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में प्रतिभागियों ने जो बारीकियां सीखी हैं, उन्हें वे कला के क्षेत्र में अवश्य उपयोग करें। कार्यशाला में वरिष्ठ कलाकार आसाराम मेघवाल ने बताया कि प्रतिभागियों को सिखाई जा रही मिनेचर आर्ट की यह विधि प्राचीन काल से चली आ रही है, जो कि वर्तमान समय में लुप्त हो रही है। उन्होंने मिनेचर आर्ट की बारीकियों लाइन, आकार, पुनरावृत्ति और प्राकृतिक रंगों का उपयोग कला में कैसे, किया जा सके, इसकी जानकारी दी। इस अवसर पर आसा राम मेघवाल, कुश शर्मा, अनिल सिन्धु, डॉ. राकेश कुमार सिंह, प्रवेश कुमार, डॉ. प्रकाश दास खांडेय को वरिष्ठ वर्ग कलाकार के प्रमाण पत्र दिए गए। देवांश जांगड़ा, कृष्णा, प्रणव, इप्शिता, गुंजन, निखिल, शिवांशु तोमर, अर्पिता बूरा, अपूर्वा, अंशिका मित्तल, साहिल कुमार, सुनील कुमार, चिंटू, शिवकुमार को कनिष्ठ वर्ग कलाकार के प्रमाण पत्र दिए गए।
कार्यशाला का समापन, 20 प्रतिभागियों को वितरित किए गए प्रमाण पत्र
डॉ. राजेश वधवा