-पहले कार्तिकेय शर्मा ने गांव गांव जाकर लोगों से मुलाकात की, खाने का सामान वितरित किया तो वहीं अब गांवों को सेनिटाइज करवाकर दिखाया अपनापन
लोगों का काफी नुकसान हुआ, सरकारी नौकरी होती तो नुकसान सहने की हिम्मत होती: विनोद शर्मा
-पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा ने किया बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा, फिर दिया साथ तो हर घर में होगी नौकरी
अंबाला।
हरियाणा जनचेतना पार्टी (वी) के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा जैसे ही बाढ़ के बाद प्रभावित गांवों में जाकर लोगों का दर्द बांटने निकले तो ग्रामीणों ने भी शर्मा के सामने अपने दिल की बातें खोलकर रख दी। गांव महमुदपुर में विनोद शर्मा को देखते हुए ही लोगों ने कहा कि केवल शर्मा परिवार ही इस आपदा के समय में उनका दर्द बांटने आया है। पहले कार्तिकेय शर्मा ने गांवों में जाकर लोगों की राशन व अन्य सामान से मदद की और अब आप खुद हमारा दर्द जानने आए। लोगों ने सीध शब्दों में कहा कि 2014 के चुनाव में हो गलती हुई है वह अब नहीं दोहराएंगे और गांव से एक-एक वोट आपके पक्ष में डाला जाएगा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा अंबाला शहर विधानसभा क्षेत्र के गांव महमुदपुर, बम्बे, मियामाजरा, अलाऊदीन माजरा, चुगना निहारसी, बकनौर, खन्नामाजरा, मेतला, शेखोपुर व जगौली में जाकर बाढ़ प्रभावित लोगों से मुलाकात कर उनका दर्द बांटने में लगे हैं। शर्मा ने कहा कि यह आपदा का समय है और निश्चिततौर एरिया के लोगों का काफी नुकसान हुआ है। किसानों ने दो दो बार लगाई गई फसल बर्बाद हो गई। लोगों के घरों का सामान खराब हो गया। जो लोग मजदूर है वह मजदूरी नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि यह आपदा का समय है और मैं अंबाला को अपना परिवार समझता हूं और ये ही कारण है जोकि भी जिम्मेदारी एरिया के लोग लगाएंगे, उसे निभाने से वह पीछे नहीं रहेंगे।
साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा ने कहा कि इस आपदा के समय में सरकारी नौकरी का महत्व पता चला है। उन्होंने कहा कि वह 10 साल तक अंबाला से विधायक रहे और हजारों युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाई। साथ ही शर्मा ने कहा कि जिन भी युवाओं को नौकरी मिली है वह सभी पढ़े लिखे थे और आप लोगों ने मुझे ताकत सौंपी थी और मैंने युवाओं को उनकी काबलियत के दम पर नौकरी दिलाने का काम किया। शर्मा ने कहा कि जब किसी के पास सरकारी नौकरी होती है तो वह ऐसी आपदा में हुए नुकसान को सहन करने की हिम्मत होती है, लेकिन आप सभी मेहनतकश लोग है। कुछ लोगों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर लोगों के पास एक या दो किले जमीन है और ऐसे में ऐसी आपदा को सहन करने की हिम्मत नहीं रहती। शर्मा ने दोहराया कि अब फिर से लोगों ने ताकत दी तो निश्चिततौर पर इस बार हार गांव से सिंगल डिजिट में नहीं, बल्कि डबल डिजिट में युवाओं को नौकरियां दिलाई जाएगी।
शर्मा ने कहा कि 2009 में पहली बार नग्गल एरिया को अंबाला शहर के साथ जोड़ा गया और जब सभी ने प्यार देते हुए उन्हें ताकत दी तो नग्गल एरिया के लोगों के आग्रह पर साइफन का निर्माण करवाया गया। शर्मा ने कहा कि साइफन बनने के बाद बरसात के पानी के आने से जो लोगों का नुकसान होता था वह बच गया, लेकिन इस आपदा से एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया कि ऐसे बाढ़ के हालात से निपटने के लिए स्थाई बंदोबस्त किए जाने की जरूरत है। शर्मा ने कहा कि लोगों का कहना है कि साइफन के फाटक नहीं खुले, जिसके कारण बांध टूट गए और लोगों का सामान, खेत सब बर्बाद हो गया। उन्होंने कहा कि जो साइफन का रख रखाव नहीं करवा सकते, उनपर कैसे विश्वास किया जा सकता है। इस अवसर पर मदन मोहन घेल, अमरीक सिंह, जसबीर सिंह, गुरपाल सिंह, अशोक कुमार, करतार सिंह, जयमल सिंह, बलकार सिंह, गुरमीत सिंह काका, अशोक कुमार, मोहिंद्र राम, सुखदेव सिंह, स्वर्ण सिंह, पवन कुमार, जरमैल सिंह, बलकार सिंह, चरणजीत सिंह, कंवरजीत सिंह, गुरजीत सिंह, जगीर सिंह पूर्व सरपंच, पूर्व सरपंच तरसेम सिंह, सतनाम सिंह, पूर्व सरपंच दलबीर सिंह, पूर्व सरपंच प्यारा सिंह, कुलदीप डंगडैरी पूर्व चेयरमैन, जगविंद्र सिंह नंबरदार, प्रीत नग्गल, राकेश मेहता, राजकुमार गुप्ता, रविंद्र सौंडा, छोटा पूर्व चेयरमैन मटेहड़ी, पूर्व चेयरमैन करनैल सिंह खन्नामाजरा, टोनी सुल्लर, सुखी बलाना सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।