कुरुक्षेत्र, 8 जून। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली, मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग, भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल एवं विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर एक राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का आयोजन माधव सेवा न्यास उज्जैन में 3 से 5 जून तक किया गया। इस राष्ट्रीय कार्यशाला में देश भर से 400 से अधिक प्रोफेसर, प्राचार्य, कुलपति, कुलसचिव, शिक्षाविद तथा शोधार्थी सम्मिलित हुए।इस अवसर पर शिक्षा में किए जा रहे अभिनव प्रयोगों पर एक प्रदर्शनी का भी लोकार्पण मध्य प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने किया। इस राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला में हरियाणा प्रांत के संयोजक डॉ. हितेन्द्र त्यागी ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यशाला में उत्तर क्षेत्र के संयोजक भाई जगराम की पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला के समापन अवसर पर समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए महामहिम राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा “पुराना समर्थवान भारत देश गरिमा के साथ वापस आ रहा है।“ राष्ट्रीय शिक्षा नीति अभिनव दृष्टि के साथ बनाई गई है। भविष्य की चुनौतियों के समाधान प्रस्तुत करने की दृढ़ संकल्पना इसमें निहित है। इस नीति से शैक्षिक, संस्कारवान, राष्ट्र भक्त विद्यार्थी का निर्माण होगा।
उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि महाकाल के आंगन में बैठकर 3 दिन तक गोष्टी में महत्वपूर्ण तपस्या हुई है । कई विचार उत्पन्न हुए होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और नीति को आगे ले जाने के लिए आपने जो परिश्रम किया है, उसके परिणाम आने वाले दिनों में दिखाई देंगे। एक समय था जब हमें शिक्षा बचाव के लिए आंदोलन करना पड़ रहा था। उन्होंने विश्वविद्यालयों के कुलपति और कार्यपरिषद सदस्यों को समझाइश देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति और कार्यपरिषद के सदस्य विश्वविद्यालय के विकास को गति देने के लिए पदस्थ किए जाते हैं। उन्हें अपनी गरिमा व मर्यादा का आभास होना चाहिए। उन्हें अपने अहम से टकराव की स्थिति निर्मित नहीं करना चाहिए। अपितु विश्वविद्यालय के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। अगर हमें विश्व गुरु बनना है तो सभी का योगदान जरूरी है।
न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीयता को आधार बनाया गया है। अब शिक्षा में व्यवहारिक परिवर्तन हो रहे हैं। कुलपति गण एक-दूसरे विश्वविद्यालय से समन्वय कर काम कर रहे हैं। शिक्षा परिवर्तन की गति से तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने भारतीय भाषा के गौरव को व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया की श्रेष्ठ भाषा भारतीय भाषा मानी गई है।जब तक देश का छात्र आत्मनिर्भर नहीं होगा ,देश आत्मनिर्भर नहीं हो सकता।
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि हमें अपने वास्तविक इतिहास को जानना जरूरी है। अभी तक मुगलों के गौरव गान को ही पढ़ाया जाता रहा है।हमारे महापुरुषों के बलिदानों की गाथा हमें नहीं पढ़ाई गई। लेकिन अब वक्त बदल गया है। हम अपने प्राचीन गौरव को पुनर्स्थापित करने जा रहे हैं।इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में दो प्रस्ताव – भारतीय भाषाओं में शिक्षा तथा शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत (राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में) सर्वसम्मति से पारित किए गए। तीन दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का विवरण हिंदी ग्रंथ अकादमी के निदेशक अशोक कडेल ने प्रस्तुत किया।
इस संगोष्ठी में उत्तर क्षेत्र के संयोजक भाई जगराम, पूर्व कुलपति डॉ राधेश्याम शर्मा, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव तथा अध्यक्ष प्रो. संजीव शर्मा, संयोजक डॉ. हितेंद्र त्यागी, कुलपति डॉ रमेश भारद्वाज, डॉ. अमित शर्मा, डॉ. विकास पॉपली, डॉ. रुपेश गौड़, डॉ अनिल शर्मा, दीपक वशिष्ठ, डॉ. बांके बिहारी, डॉ. गजराज सिंह आर्य, रेवाड़ी के कुलपति प्रोफेसर जयप्रकाश यादव उपस्थित रहे।