इसी माह  7 फरवरी को बिजली निगम की शहर मॉडल टाउन सब-डिवीज़न के  एसडीओ, सीए और एलडीसी पर दर्ज हुआ है मामला
गृह विभाग की अगस्त,2017 नोटिफिकेशन में विजिलेंस पुलिस स्टेशनों का उल्लेख — हेमंत अम्बाला — हाल ही में 7 फरवरी 2023  को शहर के बलदेव नगर थाना में  एफआईआर क्रमांक 66  भारतीय दंड संहिता (आई.पी.सी. ) की धाराओं 120 बी , 420 467 468  और 471 के अंतर्गत  दर्ज की गई जिसमें अभियुक्तों की सूची में  उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड (यू.एच.बी.वी.एन.एल.) अम्बाला शहर के मॉडल टाउन सब डिवीज़न  के एसडीओ हरीश गोयल, सी.ए. (सर्किल असिस्टेंट) डिंपल, एलडीसी अनूप नैन और एक रविंद्र सहगल को नामजद किया गया है. इसी के विरोध में गत कुछ  दिनों तक पहले  बिजली कर्मचारियों द्वारा  धरना प्रदर्शन भी किया गया और बीते कल शुक्रवार को अम्बाला के डीएसपी  हेडक्वार्टर्स रमेश कुमार को उक्त मामले में एफआईआर के विरूद्ध  लिखित ज्ञापन भी सौंपा गया  जिसपर पर डीएसपी द्वारा इस मामले में आश्वासन मिलने के बाद फिलहाल बिजली कर्मियों द्वारा धरना स्थगित कर दिया गया है.
इसी बीच शहर निवासी  पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि जहाँ तक आई.पी.सी. की धारा 120 बी का विषय है, तो यह आपराधिक षड्यंत्र (क्रिमिनल कांस्पीरेसी ) के दंड से सम्बंधित आपराधिक धारा  है. जहाँ तक धारा 420 का विषय है, तो यह  छल करना और संपत्ति परिदत्त करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करने (चीटिंग ) से सम्बन्घित है, धारा 467 में मूल्यवान प्रतिभूति, विल इत्यादि की कूटरचना (फोर्जरी), धारा 468 में छल के प्रयोजन से कूटरचना और धारा 471 में कूटरचित दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख का असली के रूप में प्रयोग में लाना शामिल है.
बहरहाल, एडवोकेट  हेमंत ने इस विषय पर  एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण कानूनी पॉइंट उठाते हुए बताया कि
साढ़े पांच वर्ष पूर्व 8  अगस्त, 2017  को   हरियाणा सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन  मार्फ़त प्रदेश के सात ज़िलों- अम्बाला, हिसार, गुरुग्राम, रोहतक, पंचकूला, करनाल और फरीदाबाद में  स्थित कार्यालय पुलिस अधीक्षक (एसपी), राज्य चौकसी (विजिलेंस) ब्यूरो को सम्बंधित 2 से 5 जिलों के लिए  उक्त नोटिफिकेशन की  अनुसूची 2 में दर्शाये गए अपराधों के प्रयोजन हेतु दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 की धारा 2 (एस) में पुलिस स्टेशन घोषित किया गया था. हाल ही में 13 फरवरी 2023 को हरियाणा सरकार ने स्टेट विजिलेंस ब्यूरो का नाम बदलकर एंटी-करप्शन ब्यूरो कर दिया है हालांकि इस सम्बन्ध में उपरोक्त अगस्त, 2017 की विजिलेंस पुलिस स्टेशन घोषित करने सम्बन्धी नोटिफिकेशन में संशोधन नहीं किया गया है.
जहाँ तक अम्बाला ज़िले का विषय है तो यहाँ स्थित एसपी, स्टेट विजिलेंस ब्यूरो कार्यालय के  अंतर्गत  तीन ज़िले – अम्बाला, कैथल और कुरुक्षेत्र आते हैं. हिसार एसपी विजिलेंस के अधीन हिसार,सिरसा, चरखी दादरी, भिवानी और फतेहाबाद पांच ज़िले पड़ते हैं. इसी प्रकार गुरुग्राम पुलिस अधीक्षक विजिलेंस ब्यूरो के अंतर्गत गुरुग्राम, नारनौल, रेवाड़ी और मेवात (नूहं) चार ज़िले हैं जबकि रोहतक एसपी  विजिलेंस के अधीन  रोहतक, सोनीपत और झज्जर ज़िले  हैं. पंचकूला मुख्यालय  के पुलिस अधीक्षक चौकसी ब्यूरो के अधीन पंचकूला और यमुनानगर, करनाल एसपी विजिलेंस के अंतर्गत करनाल, पानीपत और जींद ज़िले एवं फरीदाबाद पुलिस अधीक्षक के अधीन फरीदाबाद और पलवल ज़िले पड़ते  हैं.
बहरहाल, हेमंत का कहना है  कि हरियाणा में उपरोक्त 7 विजिलेंस पुलिस स्टेशनों को स्थापित करने संबंधी जारी नोटिफिकेशन  की अनुसूची II में  भारतीय दंड संहिता (आई.पी.सी.), 1860 के अंतर्गत   शामिल 4 दर्जन दंडनीय आपराधिक  धाराएं अर्थात 161 से  165 ए, 166, 167, 168, 169, 170, 171, 197, 198, 201, 204, 217, 218, 379 से  382, 384 से  389, 403, 406 से  409, 411 से  414, 417 से  420, 465 से  471 और  477 ए शामिल है.
इसके अतिरिक्त  भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट), 1988 के अधीन दंडनीय अपराधों, आवश्यक वस्तु  अधिनियम, 1955 और शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 के उल्लंघन से सम्बंधित अपराध और इस सभी में वर्णित अपराधों के प्रयत्न (एटेम्पट) के संबंध में अपराधों को दर्शाया गया है.
अब इस सबके दृष्टिगत प्रश्न एक महत्वपूर्ण परन्तु कानूनी प्रश्न यह  उठता है कि क्या उपरोक्त दर्शाये गए दण्डनीये अपराधों जिनमें आई.पी.सी.  की धाराएं 120 बी , 420 467 468  और 471 भी शामिल हैं अर्थात जिन धाराओं में  यू.एच.बी.वी.एन.एल. अम्बाला शहर के मॉडल टाउन सब डिवीज़न  के एक अधिकारी और कर्मियों आदि के विरूद्ध एफआईआर दर्ज की  गयी है, क्या वह उपरोक्त 8  अगस्त, 2017 को हरियाणा के गृह विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार क्या  अम्बाला के एसपी स्टेट विजिलेंस ब्यूरो थाना में ही दर्ज की जा सकती है अथवा यह बलदेव नगर पुलिस थाना भी इसके लिए कानूनन सक्षम है. ऐसा इसलिए क्योंकि उपरोक्त नोटिफिकेशन में ऐसा स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है कि सात विजिलेंस पुलिस स्टेशनों की घोषणा/स्थापना के बावजूद सामान्य अधिकारिता वाले पुलिस थानों  को भी उपरोक्त आपराधिक धाराओं में मामलों के पंजीकरण और उनके अन्वेषण की समवर्ती शक्तियां जारी रहेंगी.
हेमंत ने  सर्वप्रथम सितम्बर, 2022  में  प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, गृह सचिव, प्रदेश पुलिस के डीजीपी और स्टेट  विजिलेंस ब्यूरो (अब एंटी करप्शन ब्यूरो ) के महानिदेशक  को अभिवेदन भेजकर इस सम्बन्ध में अर्थात अगस्त, 2017 को नोटिफिकेशन में  अधिकारिता वाले पुलिस थानों  को भी उपरोक्त आपराधिक धाराओं में मामलों के पंजीकरण और उनके अन्वेषण की समवर्ती शक्तियां का उल्लेख करने बारे  अपील भी की थी हालांकि आज तक इस सम्बन्ध में उन्हें कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है.
ज्ञात रहे कि बीते वर्षो से  जब भी प्रदेश में महिला पुलिस स्टेशन  स्थापित करने संबंधी  गजट नोटिफिकेशन जारी की गयी तो उन सभी में ऐसा स्पष्ट उल्लेख किया गया कि  महिला  पुलिस स्टेशनों के  बावजूद  अधिकारिता वाले सामान्य पुलिस स्टेशनों को भी  उन सभी  आईपीसी में शामिल दंडनीय अपराधों और  स्थानीय एवं विशेष कानून के अंतर्गत दर्शाए गये अपराधों के पंजीकरण और अन्वेषण की समवर्ती शक्तियां जारी रहेंगी.

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