बीते कुछ सालों से कर्ज पर ब्याज की न्यूनतम दरों ने कई स्टार्ट-अप को यूनिकॉर्न बनने यानी 1 अरब डॉलर वैल्यू हासिल करने में मदद की। सॉफ्टवेयर के जरिए मार्केट पर कब्जा करने का सपना लिए हजारों की संख्या में स्टार्टअप मैदान में आ गए, लेकिन 2022 की दूसरी छमाही और 2023 की शुरुआत में हकीकत से सामना होने पर इन कंपनियों का सपना टूटता नजर आ रहा है।
18 महीने पहले यूज्ड कार रिटेलर कारवाना बिजनेस के शिखर पर थी। उसकी मार्केट वैल्यू 80 अरब डॉलर (6.5 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंच गई थी। अब उसकी वैल्यू 98% घटकर महज 1.5 अरब डॉलर (12,215 करोड़ रुपए) रह गई है। कंपनी खुद को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है।
महामारी के पहले साल पुराने कारों की बिक्री 25% से भी ज्यादा
अधिकांश स्टार्टअप की तरह कारवाना कंपनी ने ट्रेडिशनल कार मार्केट को मॉडर्न टेक्नोलॉजी के माध्यम से बदल कर रख देने की कोशिश की। महामारी के पहले साल उसकी पुरानी कारों की बिक्री 25% से भी ज्यादा बढ़ गई। सप्लाई की कमी पूरी करने के लिए कारवाना ने कस्टमर को मुंहमांगे दाम देकर कारें खरीदीं।
कई शहरों में मल्टीस्टोरी शोरूम बनवाए। बड़ी मात्रा में बाजार से ऊंची ब्याज दर पर कर्ज लिया, लेकिन जैसे ही महामारी खत्म हुई और ब्याज दरें बढ़ीं तो कारवाना की बिक्री घट गई। दो साल पहले महामारी के दौरान सेल्सफोर्स ने 10 अरब डॉलर का कर्ज लेकर 28 अरब डॉलर (2.28 लाख करोड़) में स्लैक नामक ऑफिस कम्युनिकेशन टूल खरीदा था, लेकिन स्थिति ये है कि कंपनी ने 8000 कर्मचारियों को काम से निकाल दिया है, जिसमें से अधिकांश स्लैक से ही हैं।
अमेजन का स्टॉक मार्केट वैल्यू 1 लाख करोड़ घटा
अमेजन जैसी बड़ी कंपनियां भी अछूती नहीं है। अप्रैल 2020 से अब तक इसका स्टॉक मार्केट वैल्यूशन लगभग 1 लाख करोड़ डॉलर घट गया है। कंपनी 18,000 कर्मचारियों को निकाल रही है और कई जगह पर कामकाज बंद कर रही है।
सस्ते कर्ज के सपोर्ट पर खड़ीं कंपनियां मुश्किल में
कई अन्य टेक कंपनियां को किस्मत रिवर्स गियर में जाती और सपने धुंधले पड़ते नजर आ रहे हैं। वे कर्मचारियों की छंटनी, लागत घटाने जैसे उपाय में जुटी हैं। गाइड हाउस इनसाइट्स के मुख्य एनालिस्ट सैम अबुलसामिद कहते हैं कि बीते 15 सालों में पूरी टेक इंडस्ट्री सस्ते कर्ज पर खड़ी हुई थी। अब उन्हें वास्तविकता का सामना करना पड़ रहा है। इनकी बिक्री घट गई है और कर्ज की लागत बढ़ गई है।