मुस्लिम समुदाय के बोहरा, पसमांदा और पढ़े लिखे लोगों तक हमें सरकार की नीतियां लेकर जानी हैं। हमें समाज के सभी अंगों से जुड़ना है और उसे अपने साथ जोड़ना है।’

17 जनवरी 2023 को BJP राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बात कही है। इससे करीब 6 महीने पहले 3 जुलाई 2022 को हैदराबाद में आयोजित BJP राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में PM मोदी ने पसमांदा मुस्लिमों के लिए स्नेह यात्रा की घोषणा की थी। इस यात्रा का मकसद पसमांदा मुस्लिमों के घर-घर पहुंच कर BJP से जोड़ने की पहल करना था।

सवाल उठता है कि क्या BJP को मुस्लिम वोटों की जरूरत है? कौन हैं पसमांदा मुस्लिम, जिन्हें BJP रिझाने की कोशिश कर रही है? क्या पसमांदा मुस्लिम BJP खेमे में आ सकते हैं? भास्कर एक्सप्लेनर में इन्हीं सवालों के जवाब जानेंगे…

उर्दू-फारसी का शब्द है पसमांदा, मतलब है- पिछड़े और दलित मुस्लिम
‘पसमांदा’ शब्द फारसी भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब है- समाज में पीछे छूट गए लोग। भारत में पिछड़े और दलित मुस्लिमों को पसमांदा कहा जाता है।

जब हमने पसमांदा की शुरुआत जानने के लिए ‘ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज’ के संस्थापक और राज्यसभा सांसद रहे अली अनवर अंसारी से बात की तो उन्होंने दावा किया कि फारसी और उर्दू के इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल उन्होंने ही किया है।

अली अनवर कहते हैं कि मुस्लिम समाज भी जातियों में बंटा है। जो मुस्लिम जातियां सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हैं, उन्हें पसमांदा मुस्लिम कहते हैं। इनमें वो जातियां भी शामिल हैं जिनसे छुआछूत होती है, लेकिन यह हिंदू दलितों की तरह अनूसूचित जातियों यानी SC की सूची में शामिल नहीं हैं।

अलग-अलग जातियों में बंटे पिछड़े मुस्लिमों को ‘जाति से जमात’ की नीति पर एकजुट करने के लिए पसमांदा शब्द की शुरुआत हुई थी। अब भारतीय मुस्लिमों में पसमांदा मुस्लिमों की आबादी 80% से ज्यादा है।

खबर में आगे बढ़ने ले पहले जानते हैं कि देश के किस हिस्से में कितनी मुस्लिम आबादी है, इससे हम देश में मौजूद पसमांदा मुस्लिमों की आबादी का एक अंदाजा लगा सकते हैं…

यह BJP के लिए वोटों का मामला नहीं बल्कि छवि सुधारने की कोशिश है: अभय दुबे
पॉलिटिकल एक्सपर्ट अभय कुमार दुबे बताते हैं कि BJP पसमांदा मुस्लिमों को साधने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। पसमांदा के लिए BJP कई कार्यक्रम आयोजित करने के साथ ही ‘स्नेह यात्रा’ भी निकाल चुकी है। ऐसा इसलिए क्योंकि पसमांदा की एक शिकायत रही है कि अशराफ लोग सत्ता में रहते हैं। पसमांदा की इस शिकायत को दूर कर BJP इस समुदाय के कुछ लोगों को अपनी ओर खींच सकती है।

उन्होंने कहा, ‘BJP औपचारिक तौर पर ‘स्नेह यात्रा’ निकालने के बजाय अगर ठोस राजनीतिक और आर्थिक कार्यक्रम लेकर पसमांदा के बीच जाएगी तो इसका फायदा मिल सकता है। अभी तक BJP शिया और बरेलवी वोटों पर काम करती रही है, लेकिन सुन्नियों पर BJP ने इस बार यह बड़ा प्रयोग किया है।’

दुबे का कहना है कि BJP की राजनीति काफी फ्लेक्सिबल यानी लचीली रही है। एक वक्त था जब NDA बनाने के लिए BJP ने अनुच्छेद 370 और राम मंदिर जैसे मुद्दे को साइड कर दिया था, लेकिन सत्ता में आते ही सबसे पहले यही काम किया।

ऐसे में BJP को अगर दिखाई देगा कि उसे पसमांदा का थोड़ा बहुत भी वोट मिल सकता है तो लोगों को BJP का बदला रूप भी देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि BJP मुख्यतौर पर 2 वजहों से पसमांदा मुस्लिमों को साध रही है..

1. अंतराष्ट्रीय स्तर पर इमेज चमकाने के लिए BJP ऐसा कर रही है।

2. BJP को जीतने के लिए नहीं बल्कि वोट शेयर बढ़ाकर सत्ता में मजबूती से आने के लिए पसमांदा मुस्लिमों को साधने की कोशिश है।

एक राय यह भी…

UP चुनाव में 8% पसमांदा मुस्लिमों ने BJP को दिया वोट: CSDS
उत्तर प्रदेश के 45% मुस्लिम आबादी वाली रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में BJP को 42 हजार वोटों से जीत मिली थी। मुस्लिमों के गढ़ माने जाने वाले आजमगढ़ उप-चुनाव में भी 13 साल बाद BJP कमल खिलाने में कामयाब रही है। BJP प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने दावा किया था कि UP विधानसभा चुनाव में 8% पसमांदा का वोट BJP को मिला है।

इसके अलावा CSDS लोकनीति सर्वे 2022 ने भी अपने रिपोर्ट में बताया है कि 8% पसमांदा मुस्लिमों ने UP विधानसभा में BJP को वोट दिए। इसकी वजह से कई सीटों पर BJP की जीत में पसमांदा ने अहम भूमिका निभाई है। UP विधानसभा चुनाव 2022 में 34 मुस्लिम विधायक जीतकर लखनऊ पहुंचे हैं, जिनमें से 30 विधायक पसमांदा हैं।

उत्तर प्रदेश की कुल आबादी में पसमांदा मुस्लिम 18% हैं। ऐसे में साफ है कि ‘स्नेह यात्रा’ के जरिए BJP न सिर्फ 80 लोकसभा वाले UP बल्कि बिहार, बंगाल, झारखंड जैसे राज्यों में भी राजनीति साधने की कोशिश कर रही है।
अब ग्राफिक से समझिए मुस्लिमों में 80% से ज्यादा पसमांदा को अपनी ओर खींचने के लिए BJP क्या कर रही है…

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