विधानसभा चुनाव से एक साल पहले हरियाणा में भी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) का जिन्न बाहर आ गया है। OPS की वजह से हिमाचल प्रदेश में BJP की सत्ता छिन गई। इसकी सबसे ज्यादा टेंशन हरियाणा में BJP सरकार में सहयोगी जननायक जनता पार्टी (JJP) को हो रखी है। भाजपा का रूख क्लियर है कि वह OPS के बजाय नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) पर ही अडिग हैं।
यह देख हरियाणा में कर्मचारी सड़कों पर आने की तैयारी चुके हैं। जिसे देखते हुए जजपा से डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला ने OPS की मांग उठा कर्मचारियों के आगे अपनी स्थिति क्लियर कर दी है। इससे हरियाणा BJP की दिक्कत भी बढ़ गई है।
हिमाचल प्रदेश में नई कांग्रेस की सरकार के ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के बाद हरियाणा में कर्मचारियों ने सरकार को ओपीएस लागू करने के लिए 25 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया है।
हरियाणा में OPS पर फैसला BJP के लिए आसान नहीं
हरियाणा में भाजपा OPS या NPS को लेकर कोई बड़ा फैसला लेती हैं तो उससे BJP शासित दूसरे राज्यों की सरकारों पर भी दबाव पड़ेगा। देश में 15 ऐसे राज्य हैं जहां पर भाजपा और सहयोगी दलों की सरकारें अभी हैं। ऐसे में इन राज्यों में भी कर्मचारी ओपीएस को लेकर मांग तेज कर देंगे, जिससे आने वाले चुनावों में भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
2.85 लाख कर्मचारी देख JJP को दांव खेलना पड़ा
हरियाणा में लगभग 2.85 लाख कर्मचारी हैं और इतनी ही संख्या लगभग पेंशनरों की है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के चुनाव OPS मुद्दे ने बड़ी भूमिका निभाई है। खुद वहां के CM रहे जयराम ठाकुर ने PM नरेंद्र मोदी से मिलकर हार का ठीकरा OPS पर फोड़ा। ऐसे में जजपा को भी अपने सियासी कामयाबी की चिंता सताने लगी। चूंकि छत्तीसगढ़, राजस्थान के बाद हिमाचल में भी कांग्रेस ने सत्ता में आते ही OPS लागू कर दी तो ऐसे में कर्मचारी कांग्रेस के साथ जा सकते हैं। इसे देखते हुए जजपा ने पहले ही दांव खेल दिया।
सत्ता विरोधी लहर भी जजपा की चिंता
जजपा के बदले रुख की एक वजह और भी है। जजपा भले ही भाजपा के साथ 2019 से हो लेकिन हरियाणा में BJP आठ साल से सत्ता में है। 2014 में भाजपा ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई। ऐसे में जजपा को सत्ता विरोधी लहर का भी खतरा महसूस हो रहा है। जिसको लेकर जजपा ने अपनी स्थिति क्लियर करनी शुरू कर दी है।
अप्रैल से सड़कों पर उतरेंगे कर्मचारी
ओपीएस की मांग को लेकर हरियाणा के कर्मचारी संघ सरकार को 25 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दे चुके हैं। आंदोलन को सफल बनाने के लिए हरियाणा में कर्मचारी संगठनों ने रीच टू ईच प्लान तैयार किया है। 2023 में सभी कर्मचारी संगठन इसी प्लान पर जनवरी से अगस्त तक काम करेंगे। इस दौरान प्रदेश भर में सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। सितंबर में सभी कर्मचारी संगठन लामबंद होकर दिल्ली कूच करेंगे