आज भी क़ानून में निर्वाचित नगर निगम सदस्यों द्वारा मेयर के निर्वाचन का प्रावधान
चंडीगढ़ — दो वर्ष पूर्व दिसंबर, 2020 में स्थानीय अम्बाला नगर निगम के आम चुनाव हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा करवाए गए थे जिसमें पहली बार मेयर का निर्वाचन प्रत्यक्ष (सीधे ) रूप से करवाया गया था जिसमें हरियाणा जनचेतना पार्टी – हजपा (वी )`की शक्ति रानी शर्मा ने भाजपा की डॉ. वंदना शर्मा को पराजित किया एवं अम्बाला नगर निगम की पहली महिला और स्थानीय मतदाताओ द्वारा सीधी मेयर निर्वाचित हुई थी.
यह भी एक अजब संयोग ही था कि अक्टूबर, 2009 में हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में मौजूदा मेयर शक्तिरानी शर्मा के पति विनोद शर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए डॉ. वंदना शर्मा के पति डॉ. संजय शर्मा, जो वर्तमान में भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी भी है एवं जिन्होंने तब भाजपा से चुनाव लड़ा था को अम्बाला शहर विधानसभा सीट से हराकर विनोद दूसरी बार विधायक बने थे.
बहरहाल, अम्बाला नगर निगम क्षेत्र के कुल 20 वार्डों में `से केवल 7 वॉर्डों से ही मेयर की पार्टी हजपा (वी ) के नगर निगम सदस्य (जिन्हे आम भाषा में पार्षद / एमसी भी कहते हैं हालांकि यह शब्द हरियाणा नगर निगम कानून में नहीं है ) जीत सके थे जबकि भाजपा के 8 , कांग्रेस के 3 एवं तत्कालीन हरियाणा डेमोक्रटिक फ्रंट (एचडीएफ ) के 2 नगर निगम सदस्य निर्वाचित हुए थे.
इसके बाद 14 जनवरी, 2021 को अम्बाला मंडल की तत्कालीन मंडल आयुक्त दीप्ति उमाशंकर, आईएएस द्वारा शक्ति रानी शर्मा को मेयर पद और निगम के 20 वार्डो से निर्वाचित प्रतिनिधियों को नगर निगम सदस्य के तौर पर पद और निष्ठा की शपथ दिलवाई गई थी. रोचक बात यह है कि शपथग्रहण के दिन ही कांग्रेस पार्टी के टिकट पर वार्ड नंबर 5 से कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित नगर निगम सदस्य राजेश मेहता पाला बदलकर मेयर शक्तिरानी शर्मा की पार्टी हजपा (वी ) में चले गये थे, हालांकि यह बात और है कि आज दो वर्ष बाद भी राजेश मेहता को हरियाणा निर्वाचन आयोग की निर्वाचन नोटिफिकेशन में कांग्रेस के निर्वाचित नगर निगम सदस्य के तौर` पर ही दर्शाया जा रहा है. गत माह 8 दिसंबर 2022 को राजेश अम्बाला नगर निगम के डिप्टी मेयर (उपमहापौर ) निर्वाचित हुए हैं.
इसी बीच शहर निवासी ` पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने एक रोचक परंतु महत्वपूर्ण कानूनी पॉइंट उठाते हुए आज पुन: बताया कि बेशक शक्तिरानी शर्मा अम्बाला नगर निगम के सीधी निर्वाचित मेयर हैं परन्तु आज भी हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 53 में स्पष्ट उल्लेख है कि मंडल आयुक्त (डिविजनल कमिश्नर ) द्वारा चुनावों बाद नगर निगम की बुलाई पहली बैठक में नव निर्वाचित नगर निगम सदस्यों द्वारा और उनमें से ही मेयर का निर्वाचन (चुनाव ) करवाया जाएगा.
उक्त धारा 53 में आगे उल्लेख है कि मंडल आयुक्त द्वारा किसी नगर निगम सदस्य, जो मेयर पद के निर्वाचन हेतु उम्मीदवार नहीं होगा, को चुनावी प्रक्रिया की अध्यक्षता के लिए मनोनीत किया जाएगा. अगर मेयर पद के चुनाव हेतु करवाए गए मतदान में उम्मीदवारों के वोट बराबर होते हैं और एक अतिरिक्त वोट मिलने से उन उम्मीदवारों में से कोई एक मेयर के तौर पर निर्वाचित हो सकता है तो ऐसी परिस्थिति में चुनाव प्रक्रिया की अध्यक्षता करने वाले नगर निगम सदस्य द्वारा यह चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों की उपस्थिति में ड्रा ऑफ़ लोट (लाटरी सिस्टम) से भाग्यशाली विजयी उम्मीदवार का निर्णय किया जाएगा और उसे मेयर निर्वाचित घोषित किया जाएगा.
हेमंत ने बताया कि सितम्बर, 2018 में प्रदेश विधानसभा द्वारा हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 में संशोधन कर नगर निगम क्षेत्र के योग्य मतदाताओं द्वारा मेयर के प्रत्यक्ष (सीधे ) चुनाव करने का प्रावधान किया गया परन्तु धारा 53 में संशोधन करना छूट गया था जिससे मौजूदा तौर पर प्रत्यक्ष निर्वाचित मेयर के प्रावधान बावजूद निर्वाचित नगर निगम सदस्यों द्वारा मेयर के निर्वाचन का प्रावधान मौजूद है.
हालांकि 14 नवंबर, 2018 को हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के कई नियमो में उपयुक्त संशोधन किया गया जिसमें उसके नियम 71 को भी पूर्णतया संशोधित कर उसमें उल्लेख किया गया कि नगर निगम के आम चुनावों के परिणामो की अधिसूचना के तीस दिनों के भीतर बुलाई गयी पहली बैठक में मंडल आयुक्त द्वारा सीधे निर्वाचित मेयर और नगर निगम सदस्यों को पद और निष्ठा की शपथ दिलवाई जायेगी.
इस प्रकार नगर निगम आम चुनावो के बाद निगम की पहली बैठक के एजेंडे / कार्य संचालन के सम्बन्ध में हरियाणा नगर निगम कानून,1994 की उक्त धारा 53 और हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के उक्त नियम 71 में विरोधाभास है.
इस बारे में एडवोकेट हेमंत का स्पष्ट कानूनी मत है कि अगर किसी विषय पर कानून की किसी धारा और उस कानून के अंतर्गत बनाये गये नियम में किसी प्रकार का विरोधाभास हो, तो ऐसी परिस्थिति में कानूनी धारा ही मान्य.लागू होती है जैसा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए कई निर्णयों से भी स्पष्ट होता है चूँकि कानून को विधानसभा या संसद द्वारा बनाया किया जाता है जबकि उस कानून के अंतर्गत नियम राज्य/केंद्र सरकार द्वारा बनाये जाते हैं. हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 भी हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 32 के अंतर्गत ही बनाई गयी है. इस प्रकार सम्बंधित नियम कानूनी धारा से नीचे होते हैं अर्थात उपरोक्त नगर निगम निर्वाचन नियमावली के नियम 71 के स्थान पर नगर निगम कानून की धारा 53 ही लागू होगी.