हरियाणा के करनाल में शीत लहर के थपेड़ों ने भले ही लोगों की कंपकंपी छुड़ा रखी हो, लेकिन बढ़ी ठंड में राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिक किसानों का फायदा देख रहे हैं। उनका यही मानना है कि ठंड गेहूं की फसल के बेहतर उत्पादन का कारण बनेगी। हालांकि जलवायु परिवर्तन का गेहूं की उन्नत किस्मों पर कोई प्रभाव नहीं होगा, लेकिन वैज्ञानिकों ने पीले रतवे पर नजर रखने के एडवाइजरी जारी की है।
करनाल के राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान ज्ञानेंद्र सिंह बताते है कि मौसम ने करवट बदली है। ज्यादा ठंड पड़ती है तो गेहूं के उत्पादन में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी होगी। आजकल अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। ऐसे में अगर नमी बढ़ती है तो कोहरा छाने की आशंका बनी रहेगी। शीत लहर शुरू होने के बाद ठंड बढ़ गई है। जितनी ज्यादा ठंड पड़ेगी उतना ही अच्छा फुटाव गेहूं की फसल में होगा और उत्पादन भी बम्पर होगा।
पीला रतवा पर रखे नजर
चूंकि मौसम में परिवर्तन आया है तो पीले रतवे जैसी बीमारियों की भी संभावना बनी रहती है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है। जिसमें किसानों को पीले रतवे पर नजर बनाए रखने के लिए कहा गया है। ऐसे में गेहूं में पीला रतवा दिखाई देता है या किसी तरह के लक्षण सामने आते है तो अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों को जानकारी जरूर दे ताकि समय रहते ही किसानों को पीले रतवे से निपटने का उपचार बताया जा सके।
उन्नत किस्मों पर नहीं होगा असर
विशेषज्ञों की माने बीते 10 सालों के दौरान मौसम में काफी चेंज आया है और सर्दी देर से पड़ रही है। लेकिन संस्थान द्वारा विकसित उन्नत किस्मों पर जलवायु परिवर्तन का ज्यादा असर नहीं होगा। यह किस्में जलवायु परिवर्तन रोधी हैं। किसान निर्धारित समय पर गेहूं की फसल में सिंचाई , ताकि फसल की बढ़वार अच्छे से हो सके।