ICICI की पूर्व CEO चंदा कोचर बायकुला जेल से और उनके पति दीपक कोचर आर्थर रोड जेल से रिहा हो गए हैं। इससे पहले सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोचर दंपत्ति की गिरफ्तारी को गलत बताते हुए उन्हें जमानत दे दी थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि दोनों की गिरफ्तारी कानून के अनुसार नहीं थी। दोनों ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
CBI ने चंदा और दीपक दोनों को 23 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद वीडियोकॉन ग्रुप के फाउंडर वेणुगोपाल धूत को धूत को 26 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया। तीनों को 10 जनवरी तक 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया था।
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पीके चव्हाण की बेंच ने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी CrPC के सेक्शन 14A के उल्लंघन में की गई है। इस सेक्शन में कहा गया है कि पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी से पहले एक नोटिस भेजना चाहिए।
हाईकोर्ट ने एक-एक लाख रुपए की जमानत राशि पर दोनों को रिहा करने का आदेश दिया।
अभी ज्यूडिशियल कस्टडी में थे तीनों आरोपी
- 23 दिसंबर को लोन फ्रॉड केस में चंदा और दीपक कोचर की गिराफ्तारी हुई।
- 24 दिसंबर को स्पेशल कोर्ट ने दोनों को 26 तारीख तक CBI कस्टडी में भेजा।
- 26 दिंसबर को CBI ने वीडियोकॉन फाउंडर वेणुगोपाल धूत को अरेस्ट किया।
- तीनों आरोपियों को स्पेशल कोर्ट ने 28 दिसंबर तक CBI की कस्टडी में भेजा।
- 28 दिसंबर को तीनों आरोपियों की CBI कस्टडी एक दिन के लिए बढ़ाई गई।
- 29 दिसंबर को आरोपियों को 10 जनवरी तक ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा।
- 9 जनवरी को बॉम्बे HC ने कहा, कोचर की गिरफ्तारी कानून के मुताबिक नहीं थी।
नियमों को ताक पर रखकर लोन दिया
आरोप है कि जब चंदा कोचर ने देश के बड़े प्राइवेट बैंकों में से एक ICICI बैंक की कमान संभाली तो वीडियोकॉन की विभिन्न कंपनियों के नियमों को ताक पर रखकर कुछ लोन मंजूर किए। 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों के 6 अकाउंट के मौजूदा बकाया को डोमेस्टिक डेट रिफाइनेंसिंग के तहत स्वीकृत 1,730 करोड़ रुपए के लोन में एडजस्ट किया था।
CBI ने ये भी बताया था कि 2012 में दिए गए 3,250 करोड़ के लोन में से 2,810 करोड़ रुपए (लगभग 86%) नहीं चुकाए गए। वीडियोकॉन और उसकी ग्रुप कंपनियों के अकाउंट को जून 2017 में NPA घोषित कर दिया गया था। NPA घोषित होने से बैंक को घाटा हुआ।