ट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन(CBI) ने पंजाब पुलिस के एक DSP, उसके रीडर और 2 अन्य आरोपियों को 50 लाख रिश्वत मामले में गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी लगभग 2 साल पुराने रिश्वत मामले में की गई है। पकड़े गए DSP की पहचान अमरोज सिंह के रूप में हुई है।
चारों आरोपियों को चंडीगढ़ की ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश कर DSP और उसके तत्कालीन रीडर का रिमांड लिया गया है। बाकी 2 आरोपी जेल भेज दिए गए हैं। जानकारी के मुताबिक अब अमरोज सिंह पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस विभाग में कार्यरत था। CBI ने उसके घर और हरियाणा में आरोपियों के घरों में भी रेड की है।
दो आरोपियों को 10 लाख रिश्वत लेते दबोचा था
मामले में अंबाला की M/s फेंटेसी गेमिंग टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के मोहित शर्मा ने CBI को रिश्वत की शिकायत दी थी। CBI ने मामले में जींद के अनिल मोर, कैथल के दिलबाग सिंह और रविंदर सिंह को पकड़ा था। अनिल और दिलबाग को अप्रैल और रविंदर को अक्टूबर में दबोचा गया था। तय समय पर चार्जशीट दायर न होने पर तीनों जमानत पर हैं। इनमें से दो आरोपियों को CBI ने पहले ट्रैप लगा 10 लाख रूपए रिश्वत लेते दबोचा था।
रीडर ऑफिस से कॉल गई थी
मामले में DSP अमरोज सिंह और उसके रीडर का रोल भी सामने आया था। बीते वर्ष मार्च में अमरोज सिंह के रीडर की शिकायतकर्ता को कॉल आई थी। जिसमें उन्हें बताया गया कि उनके खिलाफ किसी प्रदीप सिंह की शिकायत आई है। मामले को निपटाने के नाम पर पैसों की डिमांड की गई थी। मामला प्रॉपर्टी विवाद से जुड़ा हुआ है।
वॉयस सैंपल हुए मैच
जानकारी के मुताबिक मामला तब का है जब अमरोज सिंह की पोस्टिंग जीरकपुर में थी। मामले में पहले CBI ने 10 लाख रूपए की रकम के साथ 2 आरोपियों को पकड़ा था। मामले में अंबाला के किसी व्यापारी को DSP के नाम से ब्लैकमेल करने की बात सामने आई थी। जिसके बाद DSP को दबोचा गया है। CBI ने वायस सैंपल फोरेंसिक जांच के लिए भेजे थे। वॉयस मैच होने के बाद DSP और उसके रीडर की गिरफ्तारी की गई है। पकड़े गए रीडर की पहचान हेड कॉन्स्टेबल मंदीप सिंह और दो निजी व्यक्तियों की पहचान मनीष गौतम और प्रदीप के रूप में हुई है।
ब्लैकमेल कर बिजनेस में हिस्सेदारी मांगी थी
मोहित ने शिकायत दी थी कि आरोपियों ने उनसे 50 लाख रूपए और बिजनेस में 33 प्रतिशत की हिस्सेदारी मांगी थी। उस दौरान अमरोज सिंह जीरकपुर में तैनात था। किसी मामले में शिकायतकर्ता के बैंक अकाउंट भी फ्रिज कर दिया गया था। अनिल मोर शिकायतकर्ता की मदद के नाम पर पुलिस के नाम से रिश्वत की मांग कर रहा था। शिकायतकर्ता आरोपियों को लगभग 12.50 लाख रूपए दे चुके थे।