भारतीय किसान यूनियन चढ़ूनी गुट अब किसानों के मुद्दे उठाने के साथ फुल टाइम राजनीति भी करेगा। खुद भाकियू अध्यक्ष गुरनाम चढ़ूनी कुछ दिन पहले दिल्ली में तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव से हाथ मिला चुके हैं। तेलंगाना से बाहर भी राजनीति करने व पार्टी विस्तार करने के मकसद से तेलंगाना सीएम भी अपनी पार्टी का नाम टीआरएस से बदलकर भारत राष्ट्र समिति बीआरएस कर चुके हैं।

चढ़ूनी को भारत राष्ट्र किसान समिति का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है। अब प्रदेश में भाकियू फुल टाइम राजनीति करेगी। यह फैसला बुधवार को जाट धर्मशाला में हुई भाकियू की मीटिंग में लिया। मीटिंग में तेलंगाना के कृषि मॉडल को लेकर चर्चा हुई। चढ़ूनी की अध्यक्षता में जाट धर्मशाला में मीटिंग हुई। बताया कि प्रदेश में बीआरएस का संगठन खड़ा किया जाएगा। हर जिले में कार्यकारिणी बनेगी।

प्रवक्ता प्रिंस ने बताया कि भाकियू अब किसानों के लिए संघर्ष करने के साथ राजनीति में उतरेगी। चुनाव लड़ने को लेकर भी जल्द फैसला लिया जाएगा। मीटिंग में सभी जिलों से पदाधिकारी बुलाए गए। जिनसे इसी मुद्दे पर विचार-विमर्श हुआ। फैसला लिया कि अब किसानों के लिए राजनीति में उतरा जाए।

तेलंगाना मॉडल हो लागू : चढ़ूनी मीटिंग में चर्चा हुई कि किसानों की दशा में सुधार कैसे किया जाए। तेलंगाना मॉडल पर चर्चा की गई। चढ़ूनी ने कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव पार्टी टीआरएस का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति किया है। अब यह राष्ट्रीय पार्टी है। वे खुद बीआरएस में शामिल हो चुके हैं।

चंद्रशेखर राव ने उन्हें पार्टी में भारत राष्ट्रीय किसान समिति का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है। बताया कि उन्होंने पूरे देश के सभी राज्यों के कृषि मॉडल को देखा है। जिसमें से उन्हें तेलंगाना का कृषि मॉडल बेहतरीन लगा है। जिसे मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने लागू किया है और तेलंगाना में सरकार द्वारा प्रत्येक किसान को प्रति एकड़ दस हजार रुपए, 5 लाख का बीमा, कृषि के लिए 24 घंटे बिजली व अन्य सुविधा दी जा रही हैं।

फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है। जोकि देश में और कहीं पर भी लागू नहीं है। जिस कारण तेलंगाना का कृषि मॉडल पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ है। इसी मकसद से उन्होंने बीआरएस जॉइन की है। ताकि देश भर में किसान हित में तेलंगाना मॉडल को लागू किया जा सके।

अबकी बार किसान सरकार : चढ़ूनी ने कहा कि सक्रिय राजनीति में भागीदारी के बिना किसान हित के फैसले नहीं लिए जा सकते। आंदोलन करके केवल किसान विरोधी फैसलों को कुछ समय के लिए स्थगित करवाया जा सकता है। किसान हित में कोई कानून नहीं बनाया जा सकता।

आज देश की राजनीति में पूंजीपति हावी हैं, जो कमेरे वर्ग का शोषण कर रहे हैं । 2024 में देश भर के किसानों को जागरूक कर देश में किसान सरकार बनाई जाएगी जिसका नारा होगा अबकी बार किसान सरकार। बैठक में पदाधिकारियों ने गुरनाम चढ़ूनी के राजनीति में जाने के फैसले को सर्वसम्मति से माना।

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