बिना जुडिशल कोर्ट्स  के अम्बाला कैंट बार एसोसिएशन का कोई औचित्य नहीं
6 वर्ष पूर्व अम्बाला कैंट को प्रदान किया गया था सब-डिवीज़न का दर्जा हालांकि आज तक कैंट वासियों को हर अदालती कार्य के लिए आना पड़ता है शहर कोर्ट काम्प्लेक्स में 
अम्बाला  – अम्बाला जिला बार एसोसिएशन के वार्षिक चुनावों में  रोहित जैन प्रधान पद पर निर्वाचित हुए हैं जिन्होंने  बीते कल हुए  चुनाव में दिलबाग सिंह दानीपुर को पराजित किया. रोहित इससे पूर्व भी तीन बार प्रधान  रह चुके हैं एवं उनके पिता स्वर्गीय एसके जैन भी उनके जीवनकाल में  सात बार जिला  बार के प्रधान पद पर  रहे थे.  वहीं  अम्बाला कैंट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का चुनाव सर्वसम्मति से सम्पन्न हुआ जिसमें आशुतोष गुप्ता प्रधान  चुने गये हैं. जिले की सब -डिवीज़न नारायणगढ की बार एसोसिएशन में सुमित प्रकाश प्रधान निर्वाचित हुए हैं.
इसी बीच अम्बाला निवासी एवं पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने जिला अम्बाला की तीनो बार के नव-निर्वाचित पदाधिकारियों और विशेष पर कैंट बार के चुने गये  पदाधिकारियों को उनके निर्वाचन पर शुभकामनाएं देते हुये अपील की है कि अम्बाला कैंट उपमंडल  में भी नारायणगढ सब डिवीज़न की तर्ज पर  शीघ्र अधीनस्थ जुडिशल कोर्ट्स (न्यायिक अदालतें ) स्थापित करने हेतु गंभीर प्रयास किये जाने चाहिए.
बिना न्यायिक अदालतों के अम्बाला कैंट बार एसोसिएशन बनाने या उनके चुनाव करवाने का  कोई औचित्य नहीं बनता  क्योंकि मात्र एस.डी.एम. (उप मंडल अधिकारी (नागरिक ) जो एक कार्यकारी (एग्जीक्यूटिव ) मजिस्ट्रेट होता है या तहसीलदार आदि, के समक्ष ही पेश होना  वकीलों  का कार्य नहीं होता बल्कि न्यायिक अधिकारियों / जजों के सामने पेश होकर  सिविल और क्रिमिनल मामलों में मुवक्किल की पैरवी करना बार के सदस्यों का मुख्य कार्य है.
हेमंत ने बताया कि गत 30 नवंबर 2022 को अंबाला कैंट को प्रशासनिक सब- डिवीजन ( उपमंडल) का दर्जा मिले पूरे 6 वर्ष हो गए. इसमें लेशमात्र भी संदेह नहीं  कि  कैंट को अलग सब डिवीजन का दर्जा दिलवाने का संपूर्ण श्रेय कैंट से आज तक कुल 6 बार विधायक निर्वाचित और वर्तमान में प्रदेश के गृह, स्वास्थ्य  सहित कुल 6 विभागों के कैबिनेट मंत्री अनिल विज को ही जाता है जिनके अथक प्रयासों से ही ऐसा संभव हो पाया था. हालांकि उस समय विज प्रदेश के गृहमंत्री नहीं  बल्कि स्वास्थ्य मंत्री थे. अक्टूबर, 2014 में प्रदेश में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में पहली भाजपा सरकार के सत्ता संभालने के 2 वर्ष बाद ऐसा किया गया था.
हेमंत ने बताया कि 30 नवंबर 2016 को हरियाणा सरकार के न्याय प्रशासन विभाग द्वारा हाईकोर्ट के परामर्श से जारी एक नोटिफिकेशन मार्फत तत्कालीन  अंबाला  सब डिवीजन की सीमाओं में परिवर्तन करते हुए उसमें से  कैंट तहसील के क्षेत्र को बाहर निकालकर अलग से  अंबाला कैंट  सब-डिवीजन को अधिसूचित किया गया था जिसका मुख्यालय अंबाला कैंट बनाया गया. इससे पूर्व अप्रैल, 2008 में तत्कालीन भूपेंद्र हुड्डा सरकार दौरान इसी प्रकार से अंबाला सब-डिवीजन की  सीमाओं में  बदलाव कर जिले में बराड़ा तहसील को भी सब- डिवीजन  बनाया गया था.
बहरहाल, हेमंत ने बताया कि उपरोक्त दोनों सब डिवीजन बनने के इतने वर्षों बाद भी आज तक न तो अंबाला कैंट और न ही बराड़ा में जूडिशियल कोर्ट्स (न्यायिक अदालतें) स्थापित की गई हैं. जिले में केवल नारायणगढ़ सब -डिवीजन में ही मौजूदा तौर पर दो न्यायिक अदालतें हैं, एक अतिरिक्त सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की और एक सिविल जज  (जूनियर डिवीजन) की हालांकि कुछ समय पूर्व  में वहाँ जूनियर डिवीजन जज स्तर  की 2 कोर्ट्स अर्थात कुछ 3 अदालतें भी थीं.
हेमंत ने बताया कि आज से  56 वर्ष पूर्व 1 नवंबर 1966 को जब संयुक्त पंजाब से अलग कर हरियाणा को देश का नया राज्य बनाया गया, तो उस समय अंबाला जिले में 2 ही सब डिवीजन थीं- एक अंबाला और दूसरी नारायणगढ़. अंबाला शहर आरंभ से ही जिला मुख्यालय रहा है एवं इस कारण जिला एवं सैशंस (सत्र) न्यायालय यही पर स्थित हैं हालांकि हरियाणा बनने के  करीब 43 वर्षों बाद वर्ष 2009 में नारायणगढ़ में सब डिवीजन स्तर की न्यायिक अदालतें स्थापित हो पाई थींं.
बेशक अंबाला कैंट को आज से 6 वर्ष  पूर्व ही सब -डिवीजन  का दर्जा मिला है परंतु इसके बावजूद अंग्रेजी शासनकाल के समय से  अंबाला कैंट में न्यायिक अदालतें हुआ करती थीं जो मुख्यतः कैंटोनमैंट( सैन्य) क्षेत्र हेतु स्थापित की गई थीं. हालांकि वर्ष 1990 के मंडल कमीशन(ओबीसी आरक्षण) विरोध आंदोलन के फलस्वरूप अस्थायी तौर पर कैंट की अदालतों को पहले शहर की पुरानी सेशंस कोर्ट में और वर्ष 2003 में मौजूदा न्यायिक परिसर में शिफ्ट कर दिया गया था. बाद में वर्ष 2009 में हाईकोर्ट द्वारा कैंट की अदालतों का शहर की कोर्ट्स में ही  विलय कर दिया गया.
बहरहाल, 6 वर्ष पूर्व  अंबाला कैंट को प्रशासनिक सब डिवीजन का दर्जा मिलने से वहाँ पर उपमंडल अधिकारी ( नागरिक) अर्थात एसडीएम की तो नियमित तैनाती होती रही है जो कार्यकारी मैजिस्ट्रेट भी होता है, इसलिए एसडीएम स्तर के सरकारी कार्यों हेतु कैंट वासियों को शहर नहीं आना पड़ता है
हेमंत ने आगे बताया कि करीब अढ़ाई वर्ष पूर्व 30 जुलाई, 2020 को प्रदेश के शहरी स्थानीय निकाय  विभाग के तत्कालीन प्रशासनिक सचिव  द्वारा जारी  एक आदेशानुसार  अंबाला कैंट के एसडीएम को पदेन (उनके  पद के कारण )  कैंट में एक्साइज क्षेत्र में सरकारी भूमि के प्रबंधन का ईओ ( एस्टेट आफिसर)  नियुक्त किया गया था जो इस पद के तौर पर कार्य करते हुए उक्त विभाग के निदेशक को रिपोर्ट करेगा एवं वह उन्हीं के प्रशासनिक नियंत्रण में होगा. इसका अर्थ यह है  कि जो कोई भी  एचसीएस या आईएएस अधिकारी जिसे  कैंट का एसडीएम तैनात किया जाएगा, वही इस  पद पर होने कारण कैंट के  एक्साइज क्षेत्र का ईओ होगा. कैंट एसडीएम से पहले उपरोक्त कार्यभार अंबाला जिले के डीसी ( उपायुक्त) के पास ही होता था.
हालांकि हेमंत का कहना है कि अंबाला कैंट में न्यायिक कोर्ट्स न होने के कारण अदालती संबंधित कार्यों के लिए कैंट वासियों को शहर में स्थित न्यायिक परिसर में ही आना पड़ता है.  कुछ समय पूर्व ऐसी खबरें आई थीं कि कैंट की अदालतों को शहर से अलग कर पुनः कैंट में वापिस ले जाया जाएगा और इस संबंध में कैंट में उपयुक्त स्थान के चयन किया जा रहा है परंतु आज तक इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है.

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