‘2002 में एक बार नरेंद्र मोदी के समय में दंगे करने की कोशिश की, तो ऐसा सबक सिखाया कि 2002 के बाद 2022 आ गया, कोई गर्दन नहीं उठाता। दंगे करने वाले गुजरात के बाहर चले गए।’

ये बयान गृहमंत्री अमित शाह का है। 25 नवंबर 2022 को गुजरात में एक चुनावी रैली में उन्होंने ये बातें कहीं।

अमित शाह के इस बयान के अलावा भी BJP ने गुजरात चुनाव के दौरान कई ऐसे फैसले लिए, जिससे 2002 दंगा एक बड़ा फैक्टर साबित हुआ। उनमें से 4 बड़े फैसलों को हम यहां जानेंगे …

1. चुनाव से पहले बिलकिस बानो रेप केस के दोषियों को राज्य सरकार ने रिहा किया
3 नवंबर 2022 को गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई। राज्य सरकार ने इससे 78 दिन पहले 15 अगस्त को उम्रकैद के बजाय 15 साल पूरे होने के आधार पर बिलकिस बानो रेप और मर्डर केस के 11 दोषियों को जेल से छोड़ दिया। दोषियों को छोड़ने को लेकर गुजरात के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (होम) राजकुमार ने जो वजह बताई, वो ये थी…

‘11 दोषियों ने कुल 14 साल की सजा काटी। नियम के अनुसार, उम्रकैद का मतलब होता है – कम से कम 14 साल की सजा। इसके बाद दोषी सजा माफी के लिए अपील कर सकता है। इसके बाद इस पर फैसला करना राज्य सरकार का काम होता है। इसके बाद एलिजिबल कैदियों को जेल सलाहकार समिति के साथ ही जिले की लीगल अथॉरिटीज की सलाह पर माफी दी जाती है। जिन पैरामीटर्स को ध्यान में रखा गया उनमें उम्र, अपराध की प्रकृति, जेल में व्यवहार शामिल हैं… इस मामले में दोषियों को इन सभी पैरामीटर्स पर विचार के बाद इसलिए भी एलिजिबल माना गया क्योंकि वे अपनी उम्रकैद का 14 साल पूरा कर चुके थे।’

जेल से बाहर आने के बाद बिलकिस बानो रेप और मर्डर केस के दोषियों की तस्वीर।

इन दोषियों को छोड़े जाने के बाद भले ही BJP के किसी बड़े नेता ने इसका जिक्र मंच से न किया हो, लेकिन सरकार के इस फैसले ने वोटों के ध्रुवीकरण में अहम भूमिका निभाई है।

AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि-

‘मैं केंद्रीय गृह मंत्री को बताना चाहता हूं, आपने 2002 में जो सबक सिखाया था, वह यह था कि बिलकिस बानो के बलात्कारियों को आप मुक्त कर देंगे, आप बिलकिस की 3 साल की बेटी अहसान के हत्यारों को जेल से छोड़ देंगे।’

2. बिलकिस बानो के दोषियों को छोड़ने वाली कमेटी के मेंबर राउलजी रिकॉर्ड 35 हजार वोटों से जीते

बिलकिस बानो रेप और मर्डर केस के दोषियों को छोड़ने का फैसला करने वाली कमेटी के सदस्य रहे सीके राउलजी को भाजपा ने एक बार फिर से इस बार गोधरा से टिकट दिया। इसका असर सिर्फ गोधरा नहीं बल्कि पूरे गुजरात में देखने को मिला। एक्सपर्ट्स का मानना है कि राउलजी को टिकट देने के भाजपा के फैसले ने एक तरह से जमीन पर चुपचाप वोटों का हिंदू-मुस्लिम में ध्रुवीकरण कर दिया।

परिणाम ये हुआ कि मुस्लिमों की अच्छी-खासी आबादी होने के बावजूद इस सीट से राउलजी 35 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते। पंचमहल जिले में गोधरा समेत कुल 5 विधानसभा सीट हैं। 2017 में 5 में से 4 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी, जबकि एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीता था। इस बार राउलजी को कैंडिडेट बनाने का फायदा ये हुआ कि BJP जिले की सभी 5 सीटों पर जीत गई।

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