नवंबर महीने में रिटेल महंगाई (CPI) घटकर 5.88% पर आ गई है। ये 11 महीनों का निचला स्तर है। दिसंबर 2021 में महंगाई 5.59% पर थी। इसके बाद से ये लगातार 6% के ऊपर बनी हुई थी। अक्टूबर 2022 में रिटेल महंगाई 6.77% थी। वहीं सितंबर में ये 7.41% पर थी। एक साल पहले यानी नवंबर 2021 में ये 4.91% थी। ये लगातार दूसरे महीने CPI में गिरावट देखने को मिली है। उधर, भारत का इंडस्ट्रियल आउटपुट 26 महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गया है।सब्जियों और सब्जियों के दाम कम होने से महंगाई दर घटी
खाने-पीने का सामान खास तौर पर सब्जियों की कीमतों के घटने की वजह से महंगाई घटी है। नवंबर महीने में खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर अक्टूबर के 7.01% से घटकर 4.67% पर आ गई। जबकि सब्जियों की महंगाई अक्टूबर के 7.77% से घटकर -8.08% पर पहुंच गई है।
महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।
RBI कैसे कंट्रोल करती है महंगाई?
महंगाई कम करने के लिए बाजार में पैसों के बहाव (लिक्विडिटी) को कम किया जाता है। इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) रेपो रेट बढ़ाता है। बढ़ती महंगाई से चिंतित RBI ने हाल ही में रेपो रेट में 0.35% इजाफा किया है। इससे रेपो रेट 5.90% से बढ़कर 6.25% हो गया है।
CPI क्या होता है?
दुनियाभर की कई इकोनॉमी महंगाई को मापने के लिए WPI (Wholesale Price Index) को अपना आधार मानती हैं। भारत में ऐसा नहीं होता। हमारे देश में WPI के साथ ही CPI को भी महंगाई चेक करने का स्केल माना जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक और क्रेडिट से जुड़ी नीतियां तय करने के लिए थोक मूल्यों को नहीं, बल्कि खुदरा महंगाई दर को मुख्य मानक (मेन स्टैंडर्ड) मानता है। अर्थव्यवस्था के स्वभाव में WPI और CPI एक-दूसरे पर असर डालते हैं। इस तरह WPI बढ़ेगा, तो CPI भी बढ़ेगा।
रिटेल महंगाई की दर कैसे तय होती है?
कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मैन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 299 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।
IIP की 26 महीनों में सबसे बड़ी गिरावट
देश के औद्योगिक उत्पादन में अक्टूबर के महीने में 4% की गिरावट दर्ज की गई है। ये पिछले 26 महीनों की सबसे बड़ी मासिक गिरावट है। सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर, 2022 में देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में यह गिरावट मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के उत्पादन में कमी और माइनिंग और बिजली उत्पादन क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन के कारण आई है।
OCT 2022 | SEP 2022 | OCT 2021 | |
आईआईपी ग्रोथ | -4% | 3.1% | 4.2% |
माइनिंग | 2.5% | 4.6% | 11.5% |
मैन्युफैक्चरिंग | -5.6% | 1.8% | 3.3% |
इलेक्ट्रिसिटी | 1.2% | 11.6% | 3.1% |
प्राइमरी गुड्स | 2.0% | 9.3% | 9.0% |
कैपिटल गुड्स | -2.3% | 10.3% | -1.6% |
इंटरमीडिएट गुड्स | -2.8% | 2.0% | 4.6% |
इंफ्रास्ट्रक्चर गुड्स | 1.0% | 7.4% | 6.6% |
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स | -15.3% | -4.5% | -3.2% |
कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स | -13.4% | -7.1% | 0.7% |