के यू के अंग्रेजी विभाग में भगवद्गीता और समकालीन अंग्रेजी साहित्य विषय पर तकनीकी सत्र आयोजित
कुरुक्षेत्र, 30 नवम्बर।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में 7वें अंतर्राष्ट्रीय गीता सेमिनार के तहत् छठा आनलाईन तकनीकी सत्र भगवद्गीता और समकालीन साहित्य विषय पर आयोजित किया गया। विभागाध्यक्ष
प्रो. रश्मि वर्मा ने सभी का स्वागत किया तथा डीन कला एवं भाषा संकाय प्रो. ब्रजेश साहनी ने तकनीकी सत्र की थीम के बारे में जानकारी दी। प्रो. सुनीता सिरोहा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
उद्घाटन सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से वरिष्ठ प्रोफेसर ए.एन. द्विवेदी एवं गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से प्रो. श्रवण कुमार शर्मा ने व्याख्यान दिए।
प्रो. एएन द्विवेदी ने गीता  में प्रस्तुत ज्ञान का अंग्रेजी लेखकों व दार्शनिकों, विशेषकर टीएस इलियट एवं डब्ल्यूबी यीट्स, पर प्रभाव की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि गीता व साहित्य में शोध की अपार संभावनाएं हैं जिन्हें नए शोधार्थी जरूर खोजेंगे। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि गीता ने टीएस इलियट को बहुत प्रभावित किया और उन्होंने माना कि वह हिंदू धर्म को नहीं अपना सकते लेकिन गीता और पतंजलि योगसूत्रों की कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में की गई 3 साल की पढाई ने उनके चरित्र को एक नई दिशा प्रदान की। उन्होंने आगे कहा कि आयरलैंड के कवि डब्ल्यू यीट्स को भारत के तंत्र व दर्शन ने बहुत प्रभावित किया। वह थियोसोफिकल सोसायटी के मेम्बर भी रहे और उन्होंने अपनी कविताओं में भारत के ज्ञान व सभ्यता का वर्णन किया।
प्रो. एसके शर्मा ने अपने व्याख्यान ट्रासेंडिंग पोलेटिरिज़ः गीता एंड कंटैम्परेरी लिटरेचर में बताया कि आज कैसे  पुरानी अवधारणाओं को तोड़ते हुए पिछड़े व परिधि पर स्थित व्यक्तियों व पिछड़े समाजों को अपनी बात करने का मौका मिला हैै। उन्होंने कहा कि गीता हमें द्वंद्व से पारगमन की तरफ लेकर जाती है और हमें आगे बढ़कर नई सोच को आगे बढ़ाने का मौका देती है। आज के नए लेखक सभी पुरानी रूढ़िवादी सोचों को छोडकर हमें कुछ मूलभूत प्रश्न उठाने का मौका प्रदान करते हैं जिसको हम गीता से जोड़कर देख सकते हैं।
इस मौके पर प्रो. ब्रजेश साहनी ने कहा कि पाश्चात्य जगत में विश्व साहित्य का कोई भी ग्रंथ इतना अधिक उद्धरित नहीं हुआ है जितना भगवद्गीता। भगवत गीता ज्ञान का अथाह सागर है। जीवन का प्रकाश पुंज व दर्शन है।  शोक और करुणा से निवृत होने का सम्यक मार्ग है। इसके पश्चात् लगभग 50 प्रतिभागियों ने तीन समानांतर सत्र में अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इन सत्रों की अध्यक्षता प्रो. रश्मि वर्मा, प्रो. सुनिता सिरोहा एवं प्रो. राम निवास ने की। इस सेमिनार के आयोजन में विभाग के सभी शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।

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