हरियाणा में रेवाड़ी जिले के औद्योगिक कस्बा धारूहेड़ा की श्री नंदू गौशाला में भूख से मरने के कगार पर पहुंचे 500 से ज्यादा पशुओं के लिए चौथे दिन भी चारे का प्रबंध नहीं हो पाया है। गौशाला प्रधान ने भी साफ कर दिया कि दोपहर 12 बजे तक चारे का इंतजाम नहीं हुआ तो सारे पशुओं को गौशाला से बाहर सड़कों पर छोड़ दिया जाएगा। वहीं मामले को लेकर नगर पालिका और गौशाला प्रबंधन की तरफ से शुक्रवार को अलग-अलग बैठकें बुलाई गई हैं।
दरअसल, धारूहेड़ा के गरीब नगर में करीब 7 एकड़ में बनी गौशाला में पिछले 4 दिनों से चारा खत्म है। इसकी वजह यह है कि नगर पालिका धारूहेड़ा ने चारा मुहैया कराने वाले ठेकेदार की सितंबर माह की 8 लाख रुपए की पेमेंट रोक दी है। साथ ही अक्टूबर और नवंबर माह की पेमेंट की भी स्वीकृति नहीं दी है। गुरुवार को गौशाला प्रधान रोहित यादव के अलावा बड़ी संख्या में गौ रक्षक इस मामले को लेकर डीसी अशोक कुमार गर्ग से भी मिलने पहुंचे थे।
12 बजे बाद सड़कों पर छोड़ेंगे
गौशाला प्रधान रोहित यादव ने आरोप लगाया कि नगर पालिका धारूहेड़ा के चेयरमैन कंवर सिंह की हठधर्मिता की वजह से ये सब हो रहा है। जुलाई में भी चेयरमैन ने इसी तरह की अड़चनें पैदा की थी, जिसकी वजह से कई दिन बेजुबान पशु भूखे रहे थे। उन्होंने अल्टीमेटम दिया कि 12 बजे तक अगर गौशाला में चारे का प्रबंध नहीं हुआ तो सारे पशु सड़कों पर छोड़ दिए जाएंगे। पशुओं को भूखा मरता नहीं देख सकते। वहीं गौशाला प्रधान की तरफ से इस मामले को लेकर गौरक्षकों की बैठक बुलाई गई है।
चेयरमैन बोले- विकास के पैसे चारे पर खर्च
वहीं इस मामले को लेकर नगर पालिका धारूहेड़ा के चेयरमैन कंवर सिंह ने कहा कि धारूहेड़ा के विकास कार्य के पैसे चारे पर खर्च किए जा रहे हैं। जबकि गौशाला में पशु रेवाड़ी शहर की सड़कों से पकड़ कर छोड़े जा रहे है। ऐसे में भुगतान भी नगर परिषद को करना चाहिए। जबकि नगर परिषद का सालाना 50 लाख का बजट पूरा होने के बाद नगर पालिका धारूहेड़ा की तरफ से पेमेंट कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि आज इस मामले को लेकर अहम बैठक बुलाई गई है। जिसमें अधिकारी-पार्षद के अलावा आम जनता को भी आमंत्रित किया गया है। उनसे इस मसले को लेकर सुझाव लिए जाएंगे।
2 साल पहने बनी थी गौशाला
2 साल पहले धारूहेड़ा कस्बे के गरीब नगर में निकाय विभाग की 7 एकड़ जमीन पर गौशाला बनाई गई थी। गौशाला का नाम नंदू गौशाला और उपचार सेंटर रखा गया। निकाय विभाग ने इस पर 30 लाख रुपए खर्च किए। गौशाला प्रबंधन के लिए बनी कमेटी ने गांव-गांव जाकर 50 लाख रुपए से ज्यादा एकत्रित करके इसे भव्य गौशाला का रूप दिया। गौशाला में इस समय 500 से ज्यादा नंदी व गाय रखी गई हैं। गौशाला में पशुओं के चारे के लिए सरकारी स्तर पर टेंडर छोड़ा गया था।
लावारिस पकड़े पशु रखे गए
बता दें कि पिछले कई सालों से रेवाड़ी के अलावा धारूहेड़ा, बावल में लावारिस पशुओं की वजह से कई लोगों की जान चली गई थी। कई लोग बुरी तरह जख्मी हुए। उसके बाद लावारिस पशुओं को पकड़ने की मांग ने जोर पकड़ा तो धारूहेड़ा में 7 एकड़ जमीन पर गौशाला बनाई गई, जिसमें पिछले 2 साल के अंदर 500 से ज्यादा गौवंशों को पकड़कर रखा गया। शुरुआत में इनके रख-रखाव को लेकर बड़े दावे किए गए, लेकिन अब इन्हें चारा ही नहीं मिल रहा है।
रोजाना लगता है 70-80 क्विंटल चारा
इस गौशाला में रखे गए 500 से ज्यादा पशुओं को रोजाना 70-80 क्विंटल चारा खिलाया जाता है। कभी कभार कुछ दानी भी गौशाला में चारा भेंट कर जाते है, लेकिन इतने सारे पशुओं को रोजाना चारा खिलाने में निकाय विभाग का सहयोग बहुत जरूरी है। गौशाला प्रधान ने कहा कि कुछ माह पहले जब इसी तरह की समस्या खड़ी हुई तब भी कुछ दानी लोगों ने मदद की थी। उन्हें पशुओं के चारे के लिए अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे है।