हरियाणवी लोक कला ढेरु गाथा गायन को जींवत रखने काम कर रहे लोक कलाकार, ब्रहमसरोवर के उत्तरी तट पर ढेरु गाथा गायन ने बांधा समां, शिल्प और सरस मेले के छटे दिन पर्यटकों ने जमकर की खरीदारी, सेल्फी लेने का युवाओं में बढ़ा क्रेज, ढेरु गाथा ग्रुप के कलाकार जमा रहे है ब्रहमसरोवर पर लोक संस्कृति का रंग
कुरुक्षेत्र 24 नवंबर हरियाणा की लोक कला और संस्कृति की लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी कई विधाओं को संरक्षित करने का काम अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कर रहा है। इस महोत्सव में ढेरु गायन गाथा, बाजीगर कला और कच्ची घोड़ी जैसी लोक कलाओं को ब्रहमसरोवर के पावन तट पर देखा जा रहा है। इस महोत्सव से न केवल लोक संस्कृति को जींवत रखने का प्रयास सरकार की तरफ से किया जा रहा है बल्कि लोक कलाकारों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करवाएं जा रहे है। अहम पहलू यह है कि ब्रहमसरोवर के तट पर ढेरु गाथा गायन ग्रुप के कलाकार हरियाणवी संस्कृति का रंग जमा रहे है।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र पटियाला, हरियाणा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा कला परिषद और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के साथ-साथ राज्य सरकार की तरफ से हरियाणा ही नहीं विभिन्न प्रदेशों की लोक संस्कृति को संरक्षित करने और कलाकारों को एक मंच मुहैया करवाने का काम अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के जरिए किया जा रहा है। इस महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों की लोक कला को पर्यटकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। इन प्रदेशों के उन लोक नृत्यों को कलाकार प्रस्तुत कर रहे है, जो लोक कला लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है। लोक कलाकार मोहन ने बातचीत के दौरान इस बात का खुलासा किया कि हरियाणा प्रदेश में कुछ ही कलाकार ही बचे है जो बीन, तुम्बा, ढोलक, खंजरी बजा कर जोगी नाथ बीन सपेरा परम्परा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे है।
उन्होंने कहा कि उनके ग्रुप में उनके अन्य साथी कलाकार भी उनके साथ इस कला को जीविंत रखने का काम कर रहे है। सभी कलाकार पारम्पकि वेशभूषा से सुसज्जित होकर बीन, तुम्बा, ढोलक, खंजरी बजाकर लोगों का मनोरंजन कर रहे है। यह महोत्सव लोक कलाकारों का एक बड़ा मंच बन चुका है। सरकार द्वारा इस प्रकार के कलाकारों को ओर अधिक प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव जैसे मंच उपलब्ध करवाने चाहिए। महोत्सव के शिल्प मेले के छटे दिन हरियाणा के विभिन्न गांवों के लोक कलाकारों ने ब्रहमसरोवर के उत्तरी तट पर ढेरु गाथा गायन की प्रस्तुती देकर पर्यटकों को झुमने पर मजबुर कर दिया। इन लोक कलाकारों ने ढेरु गाथा गायन के जरिए गुरु गोरख नाथ जी की गाथा, जवाहर गूगा पीर की गाथाओं का गुणगान किया। इन लोक कलाकारों का कहना है कि यह लोक कला विलुप्त करने के कगार पर पहुंच चुकी है। सरकार और प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव से लोक कलाओं को जींवत रखने का प्रयास किया जा रहा है।
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शिल्प मेले में पहंचे 45 राष्टï्रीय व राज्य अवार्डी शिल्पकार
एनजेडसीसी के अधिकारी महेन्द्र कुमार व राजेश बस्सी ने बताया कि अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव 2022 में एनजेडसीसी की तरफ से 230 से ज्यादा शिल्पकार पहुंच चुके है। इन शिल्पकारों में 9 शिल्पकार राष्टï्रीय अवार्डी, 5 राष्टï्रीय प्रमाण पत्र से सम्मानित, 17 स्टेट अवार्डी, 2 संत कबीर अवार्डी, 1 कलानिधि, 1 शिल्पगुरु, 1 हैंडीक्राफ्ट, 9 राज्य स्टेट प्रमाण पत्र, 1 एमएसएमई मंत्रालय से शामिल है।
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महोत्सव के सरस और शिल्प मेले में पर्यटकों ने खुब की खरीददारी
अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव के शिल्प और सरस मेले में पर्यटकों ने वीरवार को जमकर खरीददारी की है। एक तरफ जहां पर्यटक ब्रहमसरोवर के तट पर खिली धुप में विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों का स्वाद चख रहे थे, वहीं अलग-अलग स्टॉलों पर जाकर खरीददारी भी कर रहे थे। इतना ही नहीं युवा वर्ग मेले में सेल्फी लेकर अपने आपको आनंदित महसुस कर रहे है।
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बिछड़ों को मिलाने का काम कर रहा हैं सूचना केन्द्र
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 में ब्रहमसरोवर के मुख्य द्वार पर जिला सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग की तरफ से सूचना केन्द्र स्थापित किया गया हैं। इस सूचना केन्द्र के माध्यम से बिछड़ों को मिलाने का काम कर रहा हैं। डीआईपीआरओ डा. नरेन्द्र सिंह ने बताया कि इस सूचना केन्द्र से पल-पल की सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है। इसके साथ-साथ महोत्सव में आने वाले पर्यटकों को पल-पल की जानकारी दी जा रही है। इस सूचना केन्द्र पर विजय कुमार, बरखा राम, कृष्ण कुमार, मनोज कुमार, राजकुमार शर्मा, संदीप बत्रा सहित अन्य कर्मचारी महोत्सव में आने वाले पर्यटकों को विभिन्न सूचनाओं का आदान-प्रदान कर रहे है।

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