वेस्टर्न डाइट कैंसर रोधी कोशिकाओं को करती है कमजोर: प्रो. सुभाष चौहान
कुवि के यूआईईटी संस्थान में कैंसर विषय पर व्याख्यान आयोजित
कुरुक्षेत्र 18 नवम्बर।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूआईईटी संस्थान में बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग विभाग द्वारा कैंसर जैसी घातक बीमारी पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डीन इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी तथा संस्थान के निदेशक यूआईईटी संस्थान प्रोफेसर सुनील ढींगरा ने कहा कि आज देश व समाज में बढ़ रही बीमारियां समाज के लिए चिंता का विषय बन रही है और इसके लिए लाइफ़ साइंस व जैव प्रौद्योगिकी में फैकल्टी व विद्यार्थियों को आगे आकर कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी में शोध का दायरा विकसित करने की आवश्यकता है ताकि इस प्रकार की बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है।
प्रोफेसर ढींगरा ने कहा कि लाइफ साइंस में शोध क्षेत्र में गलतियों की संभावना नहीं होती और इस क्षेत्र में शोध के अवसर को अधिक से अधिक अर्जित करने के लिए विद्यार्थियों को समय के अनुसार कठिन मेहनत करने की जरूरत है। इस प्रकार के व्याख्यान उन विद्यार्थियों के लिए एक कड़ी का काम करेंगे।
इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता डायरेक्टर इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर इम्यूनोथेरेपी स्कूल ऑफ मैडिसन, यूनिवर्सिटी ऑफ टैक्सॉस यूएसए के डॉ. सुभाष सी चौहान ने उपस्थित विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आजकल की जनसंख्या हमारे क्षेत्रीय खानपान प्रयोग करने की बजाय वेस्टर्न फास्ट फूड ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। वेस्टर्न डाइट कैंसर रोधी कोशिकाओं को कमजोर करती हैं जिसके कारण अधिक से अधिक बीमारियां विकसित होती हैं। इसलिए हमें क्षेत्रीय खानपान के साथ फल और हरी सब्जियों का प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिए जो कैंसर रोधी कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होती हैं।
उन्होंने व्रत रखने का वैज्ञानिक कारण समझाते हुए कहा कि व्रत रखने से हमारे शरीर में ऐसी सेल उत्सर्जित होती हैं जो गैर जरूरी कोशिकाओं को नष्ट करने में सहायक हैं। व्रत रखने से जो ऊर्जा उत्सर्जित होती हैं वह शारीरिक क्षमता को एक्टिव रखने में ज्यादा मददगार होती हैं। मॉलेक्युलर मार्कर कैंसर और नॉन कैंसर वाली कोशिकाओं की पहचान करने में सहयोग प्रदान करती हैं। प्रो. सुभाष ने बताया पहले कैंसर के मरीज को इंजेक्शन पुरानी पद्धति के अनुसार दिया जाता था। जो दवाई इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती थी वह पूरे शरीर में फैल कर स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा देती थी परंतु आज टारगेटेड थेरेपी नई तकनीक उत्सर्जित हो चुकी है। यह तकनीक सीधा टारगेट पर ही अपना कार्य करती है।
प्रो चौहान ने कहा कि हर व्यक्ति को समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच करवानी चाहिए क्योंकि ऐसी जांच से शरीर में हो रहे विभिन्न प्रकार के रोगों की पहचान जल्दी से हो जाती है। इस घातक बीमारी का प्राथमिक स्तर पर ही अत्यधिक इलाज संभव है।
इस व्याख्यान के संयोजक डॉ. राजेश दहिया ने मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि हमारे विद्यार्थियों में शोध का दायरा विकसित करने के लिए समय के अनुसार इस प्रकार के व्याख्यान बहुत ही जरूरी हैं। इस अवसर पर सह संयोजिका डॉ. सुनीता खटक ने सभी का धन्यवाद किया। मंच का संचालन शोध छात्रा रितिका ने किया। इस मौके पर डॉ.राजेश अग्निहोत्री, डॉ. अमिता मित्तल, डॉ. दीपक मलिक, डॉ. संजीव आहूजा, डॉ. प्रणय जैन, डॉ. दिव्या भाटिया, हरनेक सैनी, अर्चित शर्मा, नवीन बेदी, अधीक्षक विजय शर्मा व हरिकेश पपोसा आदि मौजूद रहे।

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