झज्जर जिले से होकर गुजर रहे केएमपी के साथ से निकलने वाले हरियाणा रेल
आर्बिटल रेल कॉरिडोर को लेकर अब शासन-प्रशासन के सामने किसान आ खड़े हुए
है। किसान इसलिए खड़े नहीं हुए कि वह इस ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर को बनने
नहीं देना चाहते। बल्कि उनकी नाराजगी इस बात को लेकर ज्यादा है कि इस रेल
कॉरिडोर में आने वाली उनकी जमीन का जो मुआवजा रेलवे विभाग द्वारा तय किया
जा रहा है वह तर्क संगत नहीं है। इसी मामले को लेकर झज्जर जिले के 18
गांवों के किसान मंगलवार को झज्जर पहुंचे। यहां उन्होंने इस मामले को
लेकर उपायुक्त से मिले और लिखित में एक मुआवजा बढ़ाए जाने को लेकर पत्र
सौंपा। उपायुक्त ने इस पत्र पर कार्यवाहीं किए जाने के लिए एसडीएम
बहादुरगढ़ को लिखा है। यहां मीडिया के रूबरू हुए इन किसानों ने बताया कि
केएमपी के साथ से हरियाणा आर्बिटल रेल कॉरिडोर बनाया जाना है। इसी रेल
कॉरिडोर में 18 गांवों के किसानों की जमीन का अधिग्रहण किए जाने का नोटिस
दिया हुआ है। किसानों के अनुसार जुलाई माह में हरियाणा के डिप्टी सीएम
दुष्यन्त चौटाला की उपस्थिति में किसानों की एक बैठक हुई थी। बैठक में
एफसीआर,झज्जर के डीसी,रेल आर्बिटल कॉरिडोर के जीएम,एसडीएम भी शामिल हुए
थे। उस दौरान किसानों ने एक पत्र भी बैठक में दिखाया था। जिसमें उपायुक्त
ने स्पष्ट रूप से जिले के सभी एसडीएम को एक लिखित पत्र दिया हुआ
था,जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि नेशनल हाईवे और रेलवे के लिए किसान की
जिस भी जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा उस किसान को क्लेक्टर रेट से दो
प्रतिशत मुआवजा दिया जाएगा। बैठक में चौटाला साहब ने भी इस पत्र का सहमति
जताते हुए मुआवजा राशि क्लेक्टर रेट से दो सौ गुणा ज्यादा दिए जाने पर
सहमति जताई थी। लेकिन अब एसडीएम कार्यालय से जो पत्र रेलवे विभाग को भेजा
गया है उसमें क्लैक्टर रेट से सौ गुणा ज्यादा मुआवजा राशि दिए जाने की
बात कही है। जोकि न्याय संगत नही है। किसानों ने मुआवजे को लेकर उनकी
मांग पूरी किए जाने की बात कही है। बता दें कि केएमपी के साथ गुजरने वाले
रेल ऑर्बिटल कॉरिडोर की आधारशिला पिछले दिनों फरीदाबाद में आयोजित एक
कार्यक्रम में रखी थी। किसानों का कहना है कि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो
किसी भी कीमत पर वह अपनी जमीन नहीं देंगे।

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